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मनोरंजक कथाएँ >> हाथी और आदमी

हाथी और आदमी

मुकेश नादान

प्रकाशक : सुयोग्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2002
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4516
आईएसबीएन :81-7901-003-1

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इसमें हाथी और आदमी की रोचक कहानी का वर्णन किया गया है।

Hathi Aur Adami -A Hindi Book by Mukesh Nadan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

जीत का नशा

बनारस के पास एक गाँव में शिब्बू नाम का एक ढोली रहता था। गाँव में शादी-विवाह के अवसरों पर वह ढोल बजाता। इसके अतिरिक्त वह कोई भी काम नहीं करता था। ढोल बजाने के बदले उसे जो कुछ भी मिलता, उसी से वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता। परिवार में उसके अतिरिक्त उसकी पत्नी उसका एक बेटा भी था, जिसका नाम सुक्खू था।

बेचारा शिब्बू प्रतिदिन आसपास के गाँव में ढोल बजाता फिरता, जिससे कभी-कभी तो उसे भूखे पेट ही सोना पड़ता। इसी कारण उसकी पत्नी उससे रोज लड़ती-झगड़ती जिससे हमेशा उनके घर में कलह-क्लेश रहता। पत्नी गुस्से में कहती, ‘‘क्यों ढोल बजा-बजाकर हम सबकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो, क्यों नहीं कोई दूसरा काम कर लेते ?’’
शिब्बू बेबस होकर कहता, ‘‘मैं और कर भी क्या सकता हूँ, मुझे कौन काम देगा ? और फिर मेरा यह खानदानी पेशा जो है। भला मैं इसे कैसे छोड़ सकता हूँ ?’’

‘‘भाड़ में जाए ऐसा खानदानी पेशा जिससे हम एक समय पेट भर भोजन भी न खा सकें,’’ पत्नी ब़डबड़ाती हुई कहती।
तुम तो हर समय बक-बक करती रहती हो, अरे जो कुछ भी मिलता है, उसी में क्यों नहीं संतोष कर लेती, जब किस्मत में सुख सम्पति होगी मिल जाएगी। अभी क्यों अपना मन जलाए जाती हो। ’’

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